संविधान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
संविधान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 4 जनवरी 2021

the Constitution of India? What the constitution of India says about appointment of a CDS and also whether is it constitutional?

 चीफ ऑफ डिफेसं स्टाफ (CDS) क्या है?

  • तीनों सेनाओं, थल सेना, वायु सेना और भारतीय नौसेना के बीच अच्छे संबंध स्थापित करने हेतु इस पद का गठन किया गया है।
  • सीबीएस  देश के सशस्त्र बलों का सर्वोच्च रैंक (तीनों सेनाओं) द्वारा अधिकारी होता है,
  •  सीडीएस तीनों  सेनाओं का प्रमुख भी होगा तथा एक पांच सितारा सैन्य अधिकारी  होगा, 
  •  सीडीएस तीनों सेनाओं का प्रमुख होगा इस कारण से उसके पास सैन्य सेवा का लंबा अनुभव एवं उपलब्धियां होनी चाहिए।

कौन होगा देश का पहला सीबीएस?

  • भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बन गए हैं 
  • बिपिन रावत के रिटायर होने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने देश के अगले सेना अध्यक्ष होंगे
  •  केंद्र सरकार ने सीडीएस पोस्ट के लिए सेना के  नियमों में संशोधन कर उम्र की सीमा को बढ़ाकर 65 साल किया था 
  • जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना अध्यक्ष के तौर पर अपना 3 साल का कार्यकाल पूरा करके 31 दिसंबर 2019 को रिटायर हो रहे हैं इसके बाद वह चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद संभालेंगे 62 साल के विपिन रावत 65 साल की उम्र पूरी होने तक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद पर रहेंगे।

सी डी एस  की क्या भूमिका 

  •  तीनों सेनाओं के बीच में तालमेल को और बेहतर बनाने के लिए जल्दी सैन्य मामलों का विभाग का गठन किया जाएगा 
  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ इसके चीफ होंगे
  •  सीडीएस की दूसरी भूमिका चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थाई अध्यक्ष की होगी
  •  इसमें सीडीएस की भूमिका सशस्त्र सेनाओं के ऑपरेशंस में आपसी समन्वय तथा उसके लिए वित्त प्रबंधन की होगी।

सीडीएस की मांग कब उठी थी ?

  • इसकी मांग सुरक्षा विशेषज्ञ साल 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से करते रहे हैं 
  • कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में साल 2001 में बने ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स (GOM) ने भी तीनों सेनाओं के बीच अच्छा तालमेल स्थापित करने हेतु सीडीएस की सिफारिश की थी 
  • ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने अपनी सिफारिश में कहा था अगर कारगिल युद्ध के दौरान ऐसी कोई व्यवस्था होती है तथा तीनों सेनाऐ अच्छे तालमेल से युद्ध के मैदान में उतरते तो नुकसान बहुत कम होता
  •  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से देश की तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को और बेहतर बनाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(सीडीएस) का नया पद बनाने का घोषणा किया था
  •  उसी समय से सबसे सीनियर मिलिट्री कमांडर होने की वजह से मौजूदा सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को देश के पहले सीडीएस बनाने के कयास लगाए जा रहे थे और इन्हें सीडीएस बनाया गया

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

Write the name of five pillar in Indian Constitution

भारतीय संविधान में पांच स्तंभ का नाम लिखें ?

भारतीय संविधान के मुख्य चार स्तंभ (1) विधायिका (2) कार्यपालिका (3) न्यायपालिका (4)  पत्रकारिता को भारतीय संविधान के स्तंभ कहा जाता है लेकिन 12 मई 2020 को   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि 21वी सदी भारत की बने इसके लिए देश को आत्मनिर्भर बनाना ही एकमात्र रास्ता है उन्होंने कहा कि यह एक अभूतपूर्व संकट है जिसमें हमें खुद को बचाना होगा और आगे भी बढ़ना होगा आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने यह  पांच पिलर्स बताएं  हैं 

सबसे  पहला पिलर इकोनामी  है एक ऐसी इकोनामी जो इंक्रीमेंटल चेंज नहीं  बल्कि जो क्वांटम जंप लाए !

 दूसरा पिलर इंफ्रास्ट्रक्चर है  एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने

तीसरा पिलर हमारा सिस्टम है एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दियों की रीति नीति नहीं  बल्कि 21वी सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी वाली व्यवस्था पर आधारित हो

चौथा पिलर हमारी डेमोग्राफी (आबादी)-  दुनिया के सबसे बड़े  लोकतंत्र में हमारी वाइब्रेंट डेमोग्राफी हमारी ताकत है आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्त्रोत है। 

 पांचवा पिलर मांग (demand)-  हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है,  जो ताकत है उसे पूरी क्षमता से उपयोग में लेने की  जरूरत है 



तथा इसी के साथ 20 लाख  करोड़ का पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने का कार्य किया है

Article 202 of the Indian constitution restricts to whom to prepare the financial statements

  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 202 वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए किसे प्रतिबंधित करता है 

भारतीय संविधान  का अनुच्छेद 202 भारत के राष्ट्रपति के द्वारा वित्त मंत्री एवं संबंधित मंत्रालयों से वार्षिक वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए बाध्य करता है जिससे राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के सामने प्रस्तुत करता है या किसी नियुक्त व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत करवाता है तथा राज्यों में राज्यपाल द्वारा राज्य के वित्तीय संबंधित विभागों या वित्त मंत्रालय द्वारा वित्तीय विवरण तैयार कर विधानसभा के समक्ष रखने हेतु बाध्य करता है

रविवार, 20 सितंबर 2020

भाग व अनुच्छेद

 भाग 3 अनुच्छेद 12 से 35 तक

 भाग 3  मौलिक अधिकार

 मौलिक अधिकार अमेरिका से लिए गए है मौलिक अधिकार व न्यूनतम अधिकार हैं जो प्रत्येक समय व्यक्ति को जीवन जीने और अपने जीवन के समग्र विकास हेतु आवश्यक है उन्हें मौलिक अधिकार कहते हैं क्योंकि यह अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है आते इन्हें संवैधानिक अधिकार भी कहते हैं मूल संविधान में साथ मूल अधिकार थे किंतु 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार 19F या 19च  व अनुच्छेद 31 को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा कर अनुच्छेद 301 के तहत संपत्ति के अधिकार को विधि या कानूनी अधिकार बना दिया गया राष्ट्रीय आपातकाल 352 के तहत अनुच्छेद 20 वे 21 को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है मूल रूप से सविधान में मूल रूप से 7 मौलिक अधिकार है किंतु वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार है 

  1. समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18
  2. स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 से 22 
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 23 से 24 
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25 से 28 
  5. संस्कृति व शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 29 से 30
  6. संवैधानिक उपचार का अधिकार अनुच्छेद 32

समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18

  •  अनुच्छेद 14:-  विधि के समक्ष समानता अर्थात सभी के लिए एक ही कानून
  • अनुच्छेद 15:-  धर्म वंश मुल जाति लिंग जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा
  • अनुच्छेद 16:- लोक नियोजन में अवसर की समानता आरक्षण इसी अनुच्छेद के तहत आता है जोकि सामाजिक आधार पर दिया गया है  अनुच्छेद [16 (4)] अनुसार पदोन्नति का अधिकार नहीं है।
  • अनुच्छेद 17:-  अस्पृश्यता  का अंत
  • अनुच्छेद 18:- उपाधियों का अंत कोई भी व्यक्ति विदेश से इनाम अवार्ड डिग्री नहीं ले सकता बिना सरकार की अनुमति के।


 स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 से 22 तक

 अनुच्छेद 19:-  वर्तमान में 6 स्वतंत्रता दी गई है

  •  अनुच्छेद 19 ए के अनुसार बात एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 
  • अनुच्छेद 19 बी के अनुसार सभा करने की स्वतंत्रता 
  • अनुच्छेद 19 सी  के अनुसार संज्ञा संगठन बनाने की स्वतंत्रता सहकारी समिति के गठन का अधिकार यहीं पर है 
  • अनुच्छेद 19 डी के अनुसार देश के किसी भी भाग में घूमने का अधिकार, आवागमन करने की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 19 ई के अनुसार देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार 
  • अनुच्छेद 19 एफ  के अनुसार संपत्ति रखने की स्वतंत्रता अब इसे हटा दिया गया 
  • अनुच्छेद 19 जी के अनुसार जीविकोपार्जन की स्वतंत्रता
 अनुच्छेद 20:-   अपराधों के लिए दोषसिदी के लिए सरंक्षण 

  1.  अपराध करते समय जो कानून हैं उसी के तहत सजा, ना पहले वाले कानून और  ना बाद वाले कानून के तहत।
  2.  एक अपराध के लिए एक ही बार सजा हो सकती है दो बार नहीं।
  3.  किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

 अनुच्छेद 21:- प्राण व दैहिक स्वतंत्रता अर्थात जीने-मरने का अधिकार।  किस अनुच्छेद में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कई सारे अधिकार दे रखे हैं जैसे बंधुत्व नहीं बनाने जाने का अधिकार

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

अनुच्छेद व भाग

  भाग 2 अनुच्छेद 5 से 11 तक

भाग  II .  नागरिकता से संबंधित प्रावधान

  •  अनुच्छेद 5:-  अधिवास द्वारा नागरिकता 
यदि किसी व्यक्ति का जन्म भारत में हुआ है और उसके माता-पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ है तो वह भारत का नागरिक कहलाएगा।

  •  अनुच्छेद 6:-  यदि कोई व्यक्ति 9 जुलाई 1948 से पहले भारत आया है तो वह व्यक्ति भारत का नागरिक कहलाएगा अथवा 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आया है तो वह भारत सरकार द्वारा पंजीकृत किया गया है वह भारत का नागरिक कहलाएगा । नागरिकता हेतु पंजीकरण हेतु उसे भारत में रहते हुए कम से कम 8 महीने होने चाहिए।
  •  अनुच्छेद 7:-  जो व्यक्ति 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान चला गया है तो वह भारत का नागरिक ना ही कहलाएगा ।
1955 के नागरिकता अधिनियम के अनुसार 26 जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक कहलायगा।

  •  अनुच्छेद 8:- 
  • अनुच्छेद 9:- इसके अनुसार यदि कोई भारतीय नागरिक अन्य देश की नागरिकता स्वेच्छा से ग्रहण करता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः  ही समाप्त हो जाती हैं ।
  • अनुच्छेद 10:-  नागरिकता का अधिकार, संसद द्वारा की गई विधि के अलावा किसी अन्य प्रकार से नहीं छिना जा सकता है।
  • अनुच्छेद 11:- नागरिकता में परिवर्तन संसद ही कर सकती है। 1971 के पहले जो भी नागरिक बांग्लादेश से भारत आ गया हो वह भारत का नागरिक कहलाएगा।

अनुच्छेद व भाग

  भाग 1 (अनुच्छेद 1 से 4 तक)

भाग 1:-  संघ राज्य क्षेत्र

  •  अनुच्छेद 1:-  इस अनुच्छेद में भारत को भारत तथा इण्डिया  को राज्य का संघ कहा जाता है भारत का कोई भी राज्य भारत से अलग नहीं हो सकता है अर्थात राज्य के अस्तित्व को गारंटी नहीं दी गई है।
  •  अनुच्छेद 2:-  नए राज्यों का प्रवेश जिसके तहत स्वतंत्रता के पश्चात अर्जित क्षेत्रों को देश का हिस्सा बनाया गया ।
  • अनुच्छेद 3:-  भारत में राज्यों का अस्तित्व प्रशासनिक दृष्टि से हैं और प्रशासनिक सुविधा के लिए राज्यों के नामों में परिवर्तन किया जा सकता है उनकी सीमाओं में परिवर्तन किया जा सकता है और नए राज्यों का निर्माण भी किया जा सकता है नए राज्यों के निर्माण का अधिकार संसद को प्राप्त हैं नए राज्यों के निर्माण के लिए संसद कानून बनाकर विधानमंडल के पास भेजती है विधानमंडल को डेढ़ महीने में परिवर्तन व अपरिवर्तन के साथ जवाब देना आवश्यक हैं लेकिन संसद विधानमंडल के परिवर्तन को मान भी सकती है और नहीं भी ।
  • अनुच्छेद 4:-  अनुच्छेद 2 व 3 के आधार पर किए गए किसी भी परिवर्तन से अनु. 1 व 4 में अनिवार्य रूप से संशोधन होगा।इस किसी भी संविधान संशोधन अधिनियम 368 के तहत नहीं माना जाएगा।

वेतन

  भारत में प्रमुख पदों के लिए वेतन 

  • राष्ट्रपति का वेतन 500000 रुपये ।
  • उपराष्ट्रपति का वेतन 400000 रुपये  (राज्यसभा के सभापति के रूप में)।
  •  लोकसभा अध्यक्ष का वेतन 400000 रुपये 
  • राज्यपाल का वेतन 350000 रुपये ।
  •  सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 280000 रुपये  
  • सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों का वेतन 250000 रुपये 
  • हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश का वेतन 250000 रुपये 
  •  मुख्य निर्वाचन आयुक्त व महालेखा परीक्षक के वेतन 250000 रुपये 

राज्यों का निर्माण

  • वर्तमान में 28 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं ।
  • राज्यों के निर्माण हेतु 1947 में एस के धर समिति बनाई गई।
  • इसके बाद जेवीपी समिति बनाई गई जिसमें जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, पट्टाभी सीतारमैया थे।
  • 1993 में मद्रास प्रांत से तेलुगु भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश का गठन हुआ पहला राज्य जो भाषा के आधार पर गठित हुआ।
  • आंध्र प्रदेश का गठन आंदोलनकारी सीतारामालू की मृत्यु के बाद हुआ सीतारामालु 58 दिन का अनशन के बाद मृत्यु हो गई।
  • 1953 में ही फैजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ ।
  • 1956 में फ्रांस के अधिकार से पांडिचेरी को मुक्त करवाया गया ।
  • 1960 में मुंबई प्रांत के दो हिस्से से किए गए (1) गुजरात (2) महाराष्ट्र 
  • 1961 में गोवा, दमन व दीव को पुर्तगालियों से मुक्त करवाया गया।
  •  1967 में पंजाब को तीन भागों में बांटा गया (1) पंजाब (2) हरियाणा (3) चंडीगढ़ 
  • 1968 में मद्रास का नाम बदलकर तमिलनाडु हो गया ।
  • 1973 में मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक हो गया ।
  • 1987 में मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया।
  •  गोवा भी 1986 में बना 
  • सिक्किम भारत का राज्य बना 1975 में ।
  • 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन 10 नवंबर 2000 को झारखंड का गठन किया गया ।
  • तेलंगाना का गठन 2 जून 2014 को किया गया।
  •  31 अक्टूबर 2019 जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35A हटा दी गई और जम्मू कश्मीर व लद्दाख को 31 अक्टूबर 2019 को दो नए केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए हैं।
  • जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित बना दिया गया है इसके विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष की जगह 5 वर्ष कर दिया गया है।

मंगलवार, 15 सितंबर 2020

भारतीय संविधान के स्रोत


 भारतीय संविधान के स्रोत:-

 स्रोतउपबंध
 भारतीय शासन अधिनियम 1935लगभग दो तिहाई उपबंध लगभग 70% यहीं से लिए गए हैं
जैसे परिसंघ प्रणाली, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग,
राज्यपाल, आपातकालीन शक्तियां
 ब्रिटेनसंसदीय शासन प्रणाली, मंत्रिमंडल प्रणाली, एकल नागरिकता,
 राष्ट्रपति  की औपचारिक स्थिति,  संसद की प्रक्रिया और विशेषाधिकार,
 परमाधिकार, रिट
 अमेरिका संघात्मक शासन प्रणाली, मूल अधिकार, स्वतंत्र निष्पक्ष न्यायपालिका व न्यायिक पुनरावलोकन, उपराष्ट्रपति का पद, राष्ट्रपति और उत्तम एवं 
 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाए जाने का उपबंध
आयरलैंड राज्य के नीति निर्देशक तत्व, राष्ट्रपति निर्वाचन की पद्धति,
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में कुछ
सदस्यों का मनोनयन


सोमवार, 14 सितंबर 2020

भारतीय संविधान में एकात्मक लक्षण

  • शक्तियों का बंटवारा केंद्र के पक्ष में, केंद्र राज्यों की सीमा, नाम तथा क्षेत्र में परिवर्तन कर सकता है।
  •  एकल नागरिकता तथा राज्यपाल की नियुक्ति तथा आपातकाल में पूर्णतः एकात्मकता होना।
  •  राज्यों में राष्ट्रपति शासन, संविधान संशोधन की पहल का अधिकार केंद्र के पास होना।
  •  एकीकृत न्याय व्यवस्था, राज्यों के प्रतिनिधित्व में समानता नहीं होना, अधिकारी तंत्र का नियंत्रण, अखिल भारतीय सेवाएं होना।
  •  उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति। 

भारतीय संविधान में संघात्मक लक्षण

  • लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, संघ एवं राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका, संविधान संशोधन की जटिल प्रक्रिया।
  • केंद्र तथा राज्य में पृथक सरकार है तथा उच्च सदन की उपस्थिति ।

रविवार, 13 सितंबर 2020

संविधान की प्रस्तावना

 संविधान की प्रस्तावना में संविधान के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से रखा गया है इस प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द को 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा जोड़ा गया।

  •  प्रस्तावना में हम भारत के लोग शब्द भारतीय संविधान को इंगित करता है।
  •  संपूर्ण प्रभुत्व शब्द से आशय है कि भारत के आंतरिक तथा  विदेशिक मामले में भारत सरकार सार्वभौमिक तथा स्वतंत्र है ।
  • समाजवादी से तात्पर्य ऐसी सरंचना जिसमें उत्पादन के मुख्य संसाधनों पर सार्वजनिक स्वामित्व या नियंत्रण के साथ संतुलित सामंजस्य हो।
  •  पंथनिरपेक्ष का अर्थ सरकार द्वारा सभी धर्मों को समान सरंक्षण वह सम्मान प्रदान करना है।
  •  लोकतंत्रात्मक गणराज्य में लोकतंत्र से आशय है कि भारत सरकार की शक्ति का स्रोत भारत की जनता है अर्थात जनता  के द्वारा स्थापित सरकार है। जबकि गणराज्य से तात्पर्य ऐसे राज्य से हैं जिसका प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होता है।
  •  बेरुबारी मामले में 1960 के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है।
  •  1967 के गोकुलनाथ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना संविधान के किसी भी भाग की भाषा को स्पष्ट करने के लिए या कोई शब्द संदिग्ध तो हो तो उसके अर्थ को समझने के लिए प्रस्तावना का सहारा लिया जा सके।
  •  केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य में 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय को उलटते हुए कहा कि प्रस्तावना संविधान का भाग है। इसी मामले के दौरान यह भी निर्णय दिया गया कि संसद के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 368 के अधीन प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है किंतु प्रस्तावना में संविधान के बुनियादी तत्वों में संशोधन नहीं किया जा सकता है।
  •  ठाकुर दास भार्गव व जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्तावना के संविधान की आत्मा कहा  है।

संविधान

  संविधान

किसी देश का संविधान में उसकी राजनीतिक एकता का वह बुनियादी ढांचा प्रस्तुत करता है जिसमें उसकी जनता शासित होती है यह राज्य की विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे मुख्य अंगो की स्थापना करता है और उनकी शक्तियों की व्यवस्था करता है और उनके दायित्वों का सीमांकन करता है और उनके पारंपरिक जनता के संबंध का विनिमय करता है

 लोकतंत्र में प्रभुसत्ता जनता में निहित होती है और वह जनता के विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक प्रकृति आस्था व आशंकाओं पर आधारित होती है।

 हमारा वर्तमान संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया था जो पूर्णरूपेण  26 जनवरी 1950 को लागू हो गया मूल संविधान में 22 भाग 395 अनुच्छेद वह 8 अनुसूचियां थी वर्तमान में 25 भाग व 12 अनुसूचियां है।

 संविधान की प्रकृति

भारतीय संविधान की प्रकृति पर संघात्मक/ फेडरल या एकात्मक को लेकर विवाद है लेकिन वास्तव में भारतीय संविधान पर संघात्मक के साथ-साथ कभी-कभी कुछ दशाओं  में एकात्मक हो जाता है प्रोफेसर के सी वीयर ने  इसे अर्ध संघीय संविधान कहा।

 भारत का संविधान विश्व का सबसे व्यापक दस्तावेज है और यह एक लिखित संविधान है संविधान में संसदीय प्रणाली की जो व्यवस्था है वह वेस्ट निस्टर (इंग्लैंड) पर आधारित है अतः समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में निहित है किंतु वे इसका प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है भारतीय संविधान के भाग 3 में मूल अधिकार (भारतीयों) को प्रदान किए गए हैं मूल अधिकार सर्वप्रथम अमेरिका में प्रदान किए गए।

 संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख किया गया है जो आयरलैंड से लिए गए हैं।

 आस्टिन ने नीति निर्देशक तत्वों को राज्य की आत्मा कहा है भारतीय संविधान में न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका तीनों को पृथक रखा गया  है भारत के संविधान में लोकतंत्र व गणराज्य तत्वों की स्थापना की है जिसका अर्थ भारतीय राज्य का प्रधान अपने राष्ट्रीय पति एक निर्वाचित व्यक्ति होगा।

भारतीय संविधान की छवि प्रस्तावना में रखी गई है संविधान में  संसदीय सर्वोच्चता और न्याय सर्वोच्चता का समन्वय रखा गया है।

 भारत का संविधान कठोर वे लचीला दोनों है ।

भारत के संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान रखा गया है ।

भारत में 2005 अप्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता प्रदान की गई है।

भारत में वयस्क मताधिकार प्रदान किया गया है पहले यह अधिकार 21 वर्ष की आयु के लिए था ।

संविधान के 61 व संशोधन में 1989 के द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई भारत का संविधान पंथनिरपेक्ष राज्यों को सहकारिता करता है अथार्त  राज्य की ओर से धार्मिक मामलों में तटस्थ की नीति का पालन किया जाना चाहिए।

 भारत में समाजवादी राज्य की स्थापना संविधान का मुख्य उद्देश्य है।

 समाजवादी शब्द संविधान में 42वां संशोधन 1976 में जोड़ा गया भारत के मूल संविधान के द्वारा एक नया भाग 4 (क) जोड़ा गया अनुच्छेद 51 के तहत। जिसे मौलिक कर्तव्यों के आधार पर जाना जाता है।


बुधवार, 9 सितंबर 2020

भारतीय संविधान की विशेषताएं स्रोत प्रस्तावना

भारतीय संविधान की विशेषताएं स्रोत प्रस्तावना
  1. भारत में संविधान सभा के गठन का विचार सर्वप्रथम 1934 में वामपंथी नेता एमएन राय द्वारा रखा गया।
  2.  वर्ष 1934 ईस्वी में स्वराज पार्टी द्वारा संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव रखा गया।
  3.  क्रिप्स मिशन की सफलता के बाद 1946 में 3 सदस्यीय कैबिनेट मिशन लोर्ड  पैथिक लोरेंस, स्टेफोर्ड क्रीप्स,  ए वी एलेग्जेंडर को भारत भेजा कैबिनेट मिशन के एक प्रस्ताव के द्वारा अंतिम भारतीय संविधान के निर्माण के लिए एक बुनियादी ढांचे का प्रारूप स्वीकार कर लिया गया जिसे संविधान सभा का नाम दिया गया।
  4.  प्रत्येक प्रांत देशी  रियासतों व राज्यों के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी जानी थी सामान्यतः 10 लाख की आबादी पर एक सीट की व्यवस्था रखी गई।
  5. संविधान सभा के कुल 389 सीटों में से ब्रिटिश सरकार के प्रत्यक्ष शासन वाले प्रांतों को 296 सीटें तथा देसी रियासतों को 93 सीटें आवंटित की जानी थी 296 सीटों में से 292 सदस्यों का चयन ब्रिटिश भारत  के गवर्नरो के अधीन 11 प्रांतों तथा चार का चयन दिल्ली, अजमेर, कुर्ग, ब्रिटिश बलूचिस्तान के चार चीफ कमिश्नर के प्रांतों से किया जाना था
  6.  देसी रियासतों के प्रतिनिधियों का चुनाव रियासतों के प्रमुखों द्वारा किया जाना था
  7.  संविधान सभा आंशिक रूप से चुनी हुई और आंशिक रूप से नामांकित निकाय थी।
  8.  संविधान सभा हेतु ब्रिटिश भारत के प्रांतों को आवंटित 296 सीटों के लिए जुलाई-अगस्त 1946 में चुनाव हुए। 296 सीटों में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208 सीटें, मुस्लिम लीग को 73 सीटें, 15 सीटें अन्य छोटे  समूहों को  प्राप्त हुई 
  9. 13 दिसंबर 1946 को सविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत की  गई।
  10.  संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा उपाध्यक्ष मुखर्जी बीएन राव

स्वतंत्र भारत का पहला मंत्रिमंडल

  स्वतंत्र भारत का पहला मंत्रिमंडल - 

  1. जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री, विदेश मामले, राष्ट्रमंडल संबंध
  2. सरदार पटेल ग्रह सूचना एवं प्रसारण
  3. डॉ राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि विभाग
  4. राजकुमारी अमृता कौर स्वास्थ्य मंत्रालय
  5.  वी एन गाडगिल कार्य खान एवं ऊर्जा विभाग
  6. सरदार बलदेव सिंह रक्षा मंत्रालय
  7. डॉक्टर बी आर अंबेडकर विधी मंत्रालय
  8. डॉ जॉन मथाई रेलवे एवं परिवहन मंत्रालय
  9. मौलाना अब्दुल कलाम आजाद शिक्षा मंत्रालय

स्वतंत्रता पूर्व गठित अंतरिम मंत्रिमंडल 1946

 स्वतंत्रता से पूर्व गठित अंतरिम  मंत्री मंत्रिमंडल 1946

  1.  जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय मंडल संबंध तथा विदेशी मामले विभाग
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल ग्रेह  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 
  3.  सरदार बलदेव सिंह रक्षा विभाग 
  4. डॉ राजेंद्र प्रसाद खाद एवं कृषि विभाग 
  5. आसफ अली रेलवे एवं परिवहन विभाग 
  6.  सी राजगोपालाचारी शिक्षा एवं कला विभाग 
  7. लियाकत अली खान वित 
  8.  जगजीवनराम श्रम विभाग

महत्वपूर्ण घटनाएं

 भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाएं

  •  1772 में लार्ड वारेन हेस्टिंग्स द्वारा जिलाधिकारी पद का सृजन किया गया।
  • 1872 में लॉर्ड मेयो के काल में जनगणना हुई।
  • 1859 में लॉर्ड कैनिंग के द्वारा विभागीय प्रणाली की शुरुआत हुई।
  • 1861 में कानूनी रूप मिला (आईपीसी धारा)।
  • 1861 के अधिनियम के तहत लोड कनिंग ने भारतीय शासन में पहली बार संभागीय प्रणाली की शुरुआत की गई।
  • 1862 ईस्वी में इसी अधिनियम के तहत लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों बनारस के राजा, पटियाला के महाराजा और सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया।
  • 1860 में वार्षिक बजट की शुरुआत हुई जेम्स विटसन के द्वारा।
  •  1881 में लॉर्ड रिपन के काल में पहली नियमित जनगणना हुई।
  •  1883 में लॉर्ड रिपन के द्वारा एक प्रस्ताव लाया जाता है जिससे भारत में स्थानीय स्वायत्त शासन प्रारंभ हुआ इसीलिए लॉर्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वायत्त शासन का जन्मदाता कहा जाता है।
  • 1905 में  लॉर्ड कर्जन के द्वारा भारत में रेलवे बोर्ड की स्थापना की जाती है और आम बजट से रेल बजट अलग हुआ एक्वर्ट समिति की सिफारिश पर।
  • 1909 का मार्ले मिंटो सुधार के तहत सत्येंद्र प्रसाद सिंहा वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में विधि सदस्य के रूप में नियुक्त होने वाले प्रथम भारतीय थे
  •  भारत शासन अधिनियम 1919 के तहत पहली बार केंद्रीय बजट को राज्य बजट से अलग कर दिया गया।
  •  भारत शासन अधिनियम 1919 के तहत पहली बार भारत में महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान किया गया।
  • भारतीय शासन अधिनियम 1935 के तहत सर्वप्रथम संघीय प्रणाली की नींव डाली गई।
  • भारतीय शासन अधिनियम 1935 के तहत संघीय न्यायालय की स्थापना 1937 में की गई।
  • 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई जिसका कार्य प्रारंभ 1936 में  हुआ।

संविधान सभा की विभिन्न समितियां

  संविधान सभा की विभिन्न समितियां

  1.  प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 
  2. संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद 
  3. झंडा समिति के अध्यक्ष जे जी कृपलानी
  4. सलाहकार/ प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल
  5.  नियम/ रियासत समिति के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद

अंतरिम सरकार का मंत्रिमंडल

  अंतरिम सरकार का मंत्रिमंडल

  1. जवाहरलाल नेहरू कार्यकारी परिषद का उपाध्यक्ष 
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल ग्रह सूचना तथा प्रसारण मंत्री 
  3. सरदार बलदेव सिंह रक्षा मंत्री 
  4. राजेंद्र प्रसाद कृषि व खाद्य मंत्री 
  5. अरुणा आसफ अली रेलवे मंत्रालय 
  6. सी राजगोपालाचारी शिक्षा मंत्रालय 
  7. जॉन मेथाई उद्योग व आपूर्ति मंत्रालय 
  8. लियाकत अली खान वित्त मंत्रालय 
  9. अली खान स्वास्थ्य मंत्रालय 
  10. जीवी मालवंकर अंतिम सभा अध्यक्ष

संविधान सभा का गठन

  संविधान सभा का गठन

  • डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के लिए प्रारूप समिति के अध्यक्ष बने हैं ।
  • बी एन राव संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किए गए ।
  • 22 जून 1947 को संविधान सभा द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकृत हुए ।
  • कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत संविधान सभा के लिए भारत के प्रांतों में 296 प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ।
  •  जिसमें कांग्रेस के 208 मुस्लिम लीग के 73 और 15 ब्रिटिश प्रांतों से थे
  • संविधान सभा का प्रथम वाचन 4 नवंबर 1948 को वह दूसरा वाचन 15 से 16 नवंबर 1948 और तीसरा वाचन 17 से 26 नवंबर 1949।
  •  9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई जिसके पहले अध्यक्ष अस्थाई रूप से डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा  चुने गए।
  •  11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष चुने गए।
  •  13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
  •  संविधान सभा में कुल 389 सदस्य जिनमें से ब्रिटिश प्रांतों के 293 वह देसी रियासतों के 93 प्रतिनिधि और 4 कमिश्नर क्षेत्र से प्रतिनिधि होंगे ।
  • प्रत्येक प्रांत से भेजे जाने वाले सदस्यों की संख्या निश्चित होगी मोटे तौर पर 10,00,000 की जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि चुनने एकाधिकार था यह सब 1946 के कैबिनेट मिशन में शामिल था  {हालांकि पुनर्गठित संविधान में सदस्यों की संख्या 324 निश्चित की गई}
  •  कुल मिलाकर संविधान सभा के 11 सत्र  व 65 बैठकें हुई जिसके तहत 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे थे।
  • 26 नवंबर 1949 को संविधान को काफी संशोधन के बाद स्वीकार कर लिया गया और इस संविधान में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे।
  •  संविधान के कुछ अनुच्छेद जैसे नागरिकता,  निर्वाचन, अंतरिम संसद, अल्पकालिक और परवर्ती  उपबंध 26 नवंबर 1949 को लागू कर दिए गए जबकि शेष उपबंध 26 नवंबर 1950 से प्रभावी हुए थे।
  •  26 नवंबर 1949 को संविधान के प्रारंभ की तारीख मानी जाती है ।
  • 26 नवंबर 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों की संख्या 284 थी और इनमें सबसे पहला हस्ताक्षर कर्ता पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।
  • राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई 1947 को बनाया गया।
  • राष्ट्रगान 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया।