रविवार, 13 सितंबर 2020

संविधान

  संविधान

किसी देश का संविधान में उसकी राजनीतिक एकता का वह बुनियादी ढांचा प्रस्तुत करता है जिसमें उसकी जनता शासित होती है यह राज्य की विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे मुख्य अंगो की स्थापना करता है और उनकी शक्तियों की व्यवस्था करता है और उनके दायित्वों का सीमांकन करता है और उनके पारंपरिक जनता के संबंध का विनिमय करता है

 लोकतंत्र में प्रभुसत्ता जनता में निहित होती है और वह जनता के विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक प्रकृति आस्था व आशंकाओं पर आधारित होती है।

 हमारा वर्तमान संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया था जो पूर्णरूपेण  26 जनवरी 1950 को लागू हो गया मूल संविधान में 22 भाग 395 अनुच्छेद वह 8 अनुसूचियां थी वर्तमान में 25 भाग व 12 अनुसूचियां है।

 संविधान की प्रकृति

भारतीय संविधान की प्रकृति पर संघात्मक/ फेडरल या एकात्मक को लेकर विवाद है लेकिन वास्तव में भारतीय संविधान पर संघात्मक के साथ-साथ कभी-कभी कुछ दशाओं  में एकात्मक हो जाता है प्रोफेसर के सी वीयर ने  इसे अर्ध संघीय संविधान कहा।

 भारत का संविधान विश्व का सबसे व्यापक दस्तावेज है और यह एक लिखित संविधान है संविधान में संसदीय प्रणाली की जो व्यवस्था है वह वेस्ट निस्टर (इंग्लैंड) पर आधारित है अतः समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में निहित है किंतु वे इसका प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है भारतीय संविधान के भाग 3 में मूल अधिकार (भारतीयों) को प्रदान किए गए हैं मूल अधिकार सर्वप्रथम अमेरिका में प्रदान किए गए।

 संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख किया गया है जो आयरलैंड से लिए गए हैं।

 आस्टिन ने नीति निर्देशक तत्वों को राज्य की आत्मा कहा है भारतीय संविधान में न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका तीनों को पृथक रखा गया  है भारत के संविधान में लोकतंत्र व गणराज्य तत्वों की स्थापना की है जिसका अर्थ भारतीय राज्य का प्रधान अपने राष्ट्रीय पति एक निर्वाचित व्यक्ति होगा।

भारतीय संविधान की छवि प्रस्तावना में रखी गई है संविधान में  संसदीय सर्वोच्चता और न्याय सर्वोच्चता का समन्वय रखा गया है।

 भारत का संविधान कठोर वे लचीला दोनों है ।

भारत के संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान रखा गया है ।

भारत में 2005 अप्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता प्रदान की गई है।

भारत में वयस्क मताधिकार प्रदान किया गया है पहले यह अधिकार 21 वर्ष की आयु के लिए था ।

संविधान के 61 व संशोधन में 1989 के द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई भारत का संविधान पंथनिरपेक्ष राज्यों को सहकारिता करता है अथार्त  राज्य की ओर से धार्मिक मामलों में तटस्थ की नीति का पालन किया जाना चाहिए।

 भारत में समाजवादी राज्य की स्थापना संविधान का मुख्य उद्देश्य है।

 समाजवादी शब्द संविधान में 42वां संशोधन 1976 में जोड़ा गया भारत के मूल संविधान के द्वारा एक नया भाग 4 (क) जोड़ा गया अनुच्छेद 51 के तहत। जिसे मौलिक कर्तव्यों के आधार पर जाना जाता है।


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