भारतीय संविधान की विशेषताएं स्रोत प्रस्तावना
- भारत में संविधान सभा के गठन का विचार सर्वप्रथम 1934 में वामपंथी नेता एमएन राय द्वारा रखा गया।
- वर्ष 1934 ईस्वी में स्वराज पार्टी द्वारा संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव रखा गया।
- क्रिप्स मिशन की सफलता के बाद 1946 में 3 सदस्यीय कैबिनेट मिशन लोर्ड पैथिक लोरेंस, स्टेफोर्ड क्रीप्स, ए वी एलेग्जेंडर को भारत भेजा कैबिनेट मिशन के एक प्रस्ताव के द्वारा अंतिम भारतीय संविधान के निर्माण के लिए एक बुनियादी ढांचे का प्रारूप स्वीकार कर लिया गया जिसे संविधान सभा का नाम दिया गया।
- प्रत्येक प्रांत देशी रियासतों व राज्यों के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी जानी थी सामान्यतः 10 लाख की आबादी पर एक सीट की व्यवस्था रखी गई।
- संविधान सभा के कुल 389 सीटों में से ब्रिटिश सरकार के प्रत्यक्ष शासन वाले प्रांतों को 296 सीटें तथा देसी रियासतों को 93 सीटें आवंटित की जानी थी 296 सीटों में से 292 सदस्यों का चयन ब्रिटिश भारत के गवर्नरो के अधीन 11 प्रांतों तथा चार का चयन दिल्ली, अजमेर, कुर्ग, ब्रिटिश बलूचिस्तान के चार चीफ कमिश्नर के प्रांतों से किया जाना था
- देसी रियासतों के प्रतिनिधियों का चुनाव रियासतों के प्रमुखों द्वारा किया जाना था
- संविधान सभा आंशिक रूप से चुनी हुई और आंशिक रूप से नामांकित निकाय थी।
- संविधान सभा हेतु ब्रिटिश भारत के प्रांतों को आवंटित 296 सीटों के लिए जुलाई-अगस्त 1946 में चुनाव हुए। 296 सीटों में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208 सीटें, मुस्लिम लीग को 73 सीटें, 15 सीटें अन्य छोटे समूहों को प्राप्त हुई
- 13 दिसंबर 1946 को सविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत की गई।
- संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा उपाध्यक्ष मुखर्जी बीएन राव
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