भाग 3 अनुच्छेद 12 से 35 तक
भाग 3 मौलिक अधिकार
मौलिक अधिकार अमेरिका से लिए गए है मौलिक अधिकार व न्यूनतम अधिकार हैं जो प्रत्येक समय व्यक्ति को जीवन जीने और अपने जीवन के समग्र विकास हेतु आवश्यक है उन्हें मौलिक अधिकार कहते हैं क्योंकि यह अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है आते इन्हें संवैधानिक अधिकार भी कहते हैं मूल संविधान में साथ मूल अधिकार थे किंतु 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार 19F या 19च व अनुच्छेद 31 को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा कर अनुच्छेद 301 के तहत संपत्ति के अधिकार को विधि या कानूनी अधिकार बना दिया गया राष्ट्रीय आपातकाल 352 के तहत अनुच्छेद 20 वे 21 को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है मूल रूप से सविधान में मूल रूप से 7 मौलिक अधिकार है किंतु वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार है
- समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18
- स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 से 22
- शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 23 से 24
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25 से 28
- संस्कृति व शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 29 से 30
- संवैधानिक उपचार का अधिकार अनुच्छेद 32
समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18
- अनुच्छेद 14:- विधि के समक्ष समानता अर्थात सभी के लिए एक ही कानून
- अनुच्छेद 15:- धर्म वंश मुल जाति लिंग जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा
- अनुच्छेद 16:- लोक नियोजन में अवसर की समानता आरक्षण इसी अनुच्छेद के तहत आता है जोकि सामाजिक आधार पर दिया गया है अनुच्छेद [16 (4)] अनुसार पदोन्नति का अधिकार नहीं है।
- अनुच्छेद 17:- अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 18:- उपाधियों का अंत कोई भी व्यक्ति विदेश से इनाम अवार्ड डिग्री नहीं ले सकता बिना सरकार की अनुमति के।
स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 से 22 तक
अनुच्छेद 19:- वर्तमान में 6 स्वतंत्रता दी गई है
- अनुच्छेद 19 ए के अनुसार बात एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 19 बी के अनुसार सभा करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 19 सी के अनुसार संज्ञा संगठन बनाने की स्वतंत्रता सहकारी समिति के गठन का अधिकार यहीं पर है
- अनुच्छेद 19 डी के अनुसार देश के किसी भी भाग में घूमने का अधिकार, आवागमन करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 19 ई के अनुसार देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार
- अनुच्छेद 19 एफ के अनुसार संपत्ति रखने की स्वतंत्रता अब इसे हटा दिया गया
- अनुच्छेद 19 जी के अनुसार जीविकोपार्जन की स्वतंत्रता
- अपराध करते समय जो कानून हैं उसी के तहत सजा, ना पहले वाले कानून और ना बाद वाले कानून के तहत।
- एक अपराध के लिए एक ही बार सजा हो सकती है दो बार नहीं।
- किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 21:- प्राण व दैहिक स्वतंत्रता अर्थात जीने-मरने का अधिकार। किस अनुच्छेद में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कई सारे अधिकार दे रखे हैं जैसे बंधुत्व नहीं बनाने जाने का अधिकार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपको राजस्थान पटवारी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी कैसे लगी?